
कहीं पर मैंने पढा था !
वह पथ क्या पथिक कुशलता क्या
जब पथ पर बिखरे शूल ना हो !
वह नाविक कि धैर्य परीक्षा क्या
जब धाराये प्रतिकूल ना हो !
कितने सही ढंग से कहा गया है।
अगर सब कुछ ठीक ठाक हो तो
कोई भी काम आसान होता है।
मगर जब दुर्भर परिस्थितियोमे भी जो
काम किया जाये वह श्लाघनिय योग्य
होता है।
हर दिन मनुष्य जीवन एक परीक्षा
से गुजरता है॥ वह सब जीत के आगे
बढ़ना ही मनुष्य का कर्तव्य है ।
वह पथ क्या पथिक कुशलता क्या
जब पथ पर बिखरे शूल ना हो !
वह नाविक कि धैर्य परीक्षा क्या
जब धाराये प्रतिकूल ना हो !
कितने सही ढंग से कहा गया है।
अगर सब कुछ ठीक ठाक हो तो
कोई भी काम आसान होता है।
मगर जब दुर्भर परिस्थितियोमे भी जो
काम किया जाये वह श्लाघनिय योग्य
होता है।
हर दिन मनुष्य जीवन एक परीक्षा
से गुजरता है॥ वह सब जीत के आगे
बढ़ना ही मनुष्य का कर्तव्य है ।